![]() |
बिछिया गांव के सौ से ज़्यादा ग्रामीण पहुंचे डीएफओ दफ्तर, दरवाज़ा बंद कर अंदर जाने से रोका, महिलाओं को नहीं मिली पानी और शौचालय की सुविधा
: कदमे रसूल : बिछिया : बहराइच। उत्तर प्रदेश के बहराइच जिले में स्थित बिछिया गांव के लोगों ने वन विभाग की ओर से जारी किए गए धारा 61बी के नोटिस के विरोध में बुधवार को जमकर प्रदर्शन किया। करीब 100 से अधिक ग्रामीण, जिनमें महिलाएं और बुजुर्ग भी शामिल थे, डीएफओ ऑफिस बहराइच पहुंचे लेकिन गेट पर ही उन्हें रोक दिया गया। विरोध जताते हुए ग्रामीणों ने जमकर नारेबाज़ी की – “वन विभाग मुर्दाबाद”, “डीएफओ मुर्दाबाद”, “इंकलाब जिंदाबाद” की गूंज ऑफिस के बाहर सुनाई दी
जानिए क्या है पूरा मामला?
बहराइच के बिछिया गांव के ग्रामीणों ने वन विभाग की धारा 61बी नोटिस के विरोध में डीएफओ ऑफिस का घेराव किया। नारेबाजी करते हुए महिलाओं-बुजुर्गों को भी रोका गया, पानी तक की सुविधा नहीं दी गई
बिछिया गांव जो अब राजस्व ग्राम घोषित हो चुका है, वहां के कई ग्रामीणों को 25 मई को वन विभाग की तरफ से धारा 61बी के तहत नोटिस भेजे गए। इन नोटिसों में ग्रामीणों को अवैध अतिक्रमणकारी बताते हुए जमीन खाली करने का आदेश दिया गया और सिर्फ 3 दिन का समय देते हुए 28 मई को DFO ऑफिस में पेश होने को कहा गया।
ग्रामीणों का कहना है कि वो इस जमीन पर सालों से रह रहे हैं, उनका दावा फॉर्म तहसील में जमा है, और हाल ही में वन अधिकार समिति का पुनर्गठन भी हुआ है। उन्हें सरकारी योजनाओं का लाभ भी मिल रहा है –प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत सर्वे भी हो चुका है। बावजूद इसके, नोटिस भेजकर वन विभाग ने उन्हें परेशान कर दिया है।
बिछिया से बहराइच पहुंचे 100 ग्रामीण
नोटिस के जवाब में अपनी बात रखने के लिए बुधवार सुबह सैकड़ों ग्रामीण बिछिया से बहराइच के लिए रवाना हुए। रास्ते भर नाराज़गी और आक्रोश के साथ वे डीएफओ ऑफिस पहुंचे। यहां पहुंचते ही उन्हें गेट के बाहर ही रोक दिया गया, और अंदर घुसने की इजाज़त नहीं दी गई।
महिलाओं को न शौचालय, न पानी, डीएफओ ने डलवाया ताला
ग्रामीणों ने बताया कि डीएफओ ने गेट पर ताला लगवा दिया। महिलाओं को न पानी की सुविधा दी गई, न शौचालय की। बुजुर्ग और महिलाएं धूप में गेट के बाहर खड़े रहे। सिर्फ वकील को ऑफिस के अंदर जाने की अनुमति दी गई।
वहां पुलिस बल तैनात रहा, जिससे माहौल तनावपूर्ण हो गया। ग्रामीणों का कहना है कि वो सिर्फ अपना पक्ष रखना चाहते हैं, लेकिन वन विभाग का यह रवैया असंवेदनशील है।
ग्रामीणों का कहना है जब हमारा गांव राजस्व ग्राम हो गया है, जब सरकार हमें योजनाओं का लाभ दे रही है, जब हमारे दावे तहसील में लंबित हैं, तो फिर हमें अतिक्रमणकारी क्यों बताया जा रहा है?”
ग्रामीणों की प्रमुख मांगें
नोटिस को वापस लिया जाए
सभी दावों की निष्पक्ष जांच हो
वन अधिकार समिति को मजबूत किया जाए
डीएफओ की भूमिका की जांच हो
गौरतलब हो कि बिछिया गांव के लोगों का विरोध सिर्फ एक नोटिस के खिलाफ नहीं, बल्कि व्यवस्था की बेरुख़ी के खिलाफ है। जब सरकार खुद इन लोगों को योजनाओं में शामिल कर रही है, तो फिर उन्हें नोटिस देना और अपमानित करना कहां तक सही है?
ब्यूरो रिपोर्ट
मोहम्मद अरमान रजा कादरी
मंडल ब्यूरो चीफ देवी पाटन गोंडा
