प्रेस रिलीज़ तारीख: 10 जुलाई 2025 जारीकर्ता: International Democratic Rights Foundation (IDRF)

 

विषय: "उदयपुर फाइल्स" फ़िल्म पर रज़ा एकेडमी की याचिका का समर्थन और संवैधानिक सौहार्द्र की रक्षा की माँग।

आज जब भारत एक संवैधानिक लोकतंत्र के रूप में अपनी बहुलता, विविधता और सामूहिक शांति की मिसाल कायम करने की कोशिश कर रहा है, ऐसे समय में नफ़रत फैलाने वाली फिल्में और प्रचारतंत्र न केवल समाज के ताने-बाने को चोट पहुँचाते हैं, बल्कि संविधान की आत्मा के भी खिलाफ हैं।

इसी चिंता को केंद्र में रखते हुए, रज़ा एकेडमी और MSO (Muslim Students Organization) के ज़िम्मेदार प्रतिनिधियों ने "उदयपुर फाइल्स" नामक फिल्म के विरुद्ध दिल्ली हाई कोर्ट में याचिका दायर की है। यह फिल्म अपने ट्रेलर और कथित संवादों में इस्लाम के पवित्र व्यक्तित्वों के विरुद्ध आपत्तिजनक चित्रण करती है, जिससे न केवल मुस्लिम समुदाय की धार्मिक भावनाएँ आहत होती हैं, बल्कि समाज में उन्माद और धार्मिक ध्रुवीकरण को बढ़ावा मिलता है।

IDRF इस कानूनी पहल का पूर्ण समर्थन करती है और माननीय उच्च न्यायालय से यह माँग करती है कि:

1. "उदयपुर फाइल्स" की रिलीज़ पर तत्काल रोक लगाई जाए जब तक यह सुनिश्चित न हो जाए कि फ़िल्म में किसी भी धर्म, सम्प्रदाय, या समुदाय की धार्मिक भावनाओं को ठेस नहीं पहुँचाई गई है।

2. CBFC (सेंसर बोर्ड) की स्क्रीनिंग प्रक्रिया की पारदर्शिता पर सवाल उठाया जाए, और यह जांच की जाए कि किन आधारों पर ऐसे दृश्य पास किए गए, जो सार्वजनिक व्यवस्था को भंग कर सकते हैं।

3. "सिनेमाई स्वतंत्रता" के नाम पर धार्मिक अपमान की छूट बंद होनी चाहिए। अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता की सीमा वहीं तक है जहाँ तक वह दूसरों के संवैधानिक अधिकारों को प्रभावित न करे।

4. ऐसी फ़िल्मों के पीछे काम कर रहे राजनीतिक, आर्थिक और वैचारिक हितों की जाँच की जाए।

IDRF मानती है कि देश की एकता, सामाजिक सौहार्द्र और सांस्कृतिक विविधता को बनाए रखना सरकार, सिविल सोसाइटी और मीडिया की सामूहिक ज़िम्मेदारी है। दुर्भाग्यवश, पिछले कुछ वर्षों में ऐसी फिल्मों को एक "राजनीतिक औज़ार" के रूप में इस्तेमाल किया गया है, जिनका उद्देश्य सिर्फ ध्रुवीकरण, मुस्लिम विरोधी नैरेटिव और नफ़रत की राजनीति को भुनाना है।

IDRF यह साफ़ करना चाहती है कि न्यायालय में हार-जीत से अधिक महत्वपूर्ण यह है कि हम लोकतंत्र, संविधान और भाईचारे के पक्ष में खड़े हैं। जैसे कि शायर जिगर मुरादाबादी ने कहा था:

"उन का जो फ़र्ज़ है वो अहल-ए-सियासत जानें,

मेरा पैग़ाम मोहब्बत है जहाँ तक पहुँचे!"

IDRF सभी समान विचारधारा वाले संगठनों, नागरिक मंचों और न्यायप्रिय नागरिकों से अपील करती है कि वे इस याचिका के समर्थन में खड़े हों। अगर हम आज चुप रहे, तो कल यह आग हम सभी को जला सकती है।

हम न्यायपालिका से न्यायसंगत हस्तक्षेप की अपेक्षा रखते हैं और मांग करते हैं कि देश को बांटने वाली इस प्रकार की प्रचारात्मक फिल्मों पर निर्णायक कदम उठाए जाएँ।

डॉ फैज़ुल हसन

डायरेक्टर

International Democratic Rights Foundation (IDRF)

ईमेल: faizul.khan02@gmail.com

वेबसाइट: www.idrf.in

फोन: +91-9319211419

10/7/2025

ब्यूरो रिपोर्ट 

मोहम्मद अरमान रजा कादरी

मंडल ब्यूरो चीफ देवी पाटन गोंडा 

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