एनक्वास ने बदली जनपद के स्वास्थ्य सेवाओं की तस्वीर,70 हजार से अधिक आबादी को घर के नजदीक मिल रही उच्च गुणवत्ता वाली स्वास्थ्य सेवाएं

फोटो प्रतलिप : संख्या 1



बहराइच 27 फरवरी। 


 जनपद में स्वास्थ्य सेवाओं की गुणवत्ता, स्वच्छता, मरीजों की देखभाल और बुनियादी ढांचे में राष्ट्रीय गुणवत्ता आश्वासन मानक (एनक्वास) के चलते बड़ा सुधार हुआ है। हाल ही में पांच और आयुष्मान आरोग्य मंदिरों को केंद्रीय टीम के मूल्यांकन में एनक्वास प्रमाणन के लिए योग्य पाया गया है। सरकार की इस पहल से जिले की 70 हजार से अधिक ग्रामीण आबादी को घर के पास उच्च गुणवत्ता वाली स्वास्थ्य सेवाएं मिल रही हैं। सएमओ ने बताया कि बलहा का मंझौवा भुलौरा, हुजूरपुर का कटघरी और बसंतपुर, शिवपुर का ललुही व कोटवा केंद्रीय टीम के मूल्यांकन में एनक्वास प्रमाणन के लिए योग्य पाया गया, इसके पूर्व चित्तौरा का डीहा,कैसरगंज का परसेण्डी और मदरहा, मोतीपुर का कुंड़वा को एनक्वास प्रमाणित हो चुके थे। उन्होंने बतया एनक्वास प्रमाणित इन नौ केंद्रों में मातृत्व एवं शिशु स्वास्थ्य, परिवार नियोजन, टीकाकरण, किशोर स्वास्थ्य, संचारी व गैर-संचारी रोगों सहित 12 प्रकार की सेवाएं उपलब्ध हैं।साथ ही इन केन्द्रों में स्वच्छता, दवाओं की उपलब्धता, मरीज संतुष्टि, रिकॉर्ड प्रबंधन और चिकित्सा प्रक्रियाओं की गुणवत्ता को भी सुनिश्चित किया गया है। स्वास्थ्य केंद्रों में बुनियादी सुविधाओं का सुदृढ़ीकरण, आवश्यक दवाएं व जांच उपलब्ध कराई जाती हैं। सीएचओ व स्टाफ को प्रशिक्षित किया जाता है, और केंद्रों का विभिन्न स्तरों पर मूल्यांकन होता है। प्रमाणन के बाद केंद्रों को 18 हजार प्रति पैकेज की धनराशि मिलती है, जो तीन वर्षों तक मान्य रहती है। वर्ष 2025 तक 200 इकाइयों के प्रमाणन का लक्ष्य है, पहले चरण में 48 आरोग्य मंदिर शामिल हैं।

मंझौवा भुलौरा, बलहा गुलाम दस्तगीर द्वारा बताया कि हमारे गांव में स्वास्थ्य केंद्र तो था, लेकिन साफ-सफाई का बहुत अभाव था। अब अस्पताल में टॉयलेट, पीने के पानी और वेटिंग एरिया की सुविधा पहले से काफी अच्छी हो गई है। इससे मरीजों को काफी सहूलियत हो रही है। कटघरी हुजूरपुर के रामदीन ने बताया कि “पहले हमारे स्वास्थ्य केंद्र पर केवल टीकाकरण और परिवार नियोजन की सेवाएँ ही उपलब्ध थीं , अब सीएचओ के माध्यम से जांच और दवाएं उपलब्ध हो रही हैं , इसलिए आपात स्थिति में भी इलाज के लिए अब प्राइवेट डॉक्टर या झोलाछाप के पास नहीं जाना पड़ता है। मिहींपुरवा के कुंड़वा गांव की क्षमा देवी ने बताया, पहले भी प्रसव की सुविधा थी, लेकिन अब अस्पताल की सफाई, स्टाफ का व्यवहार और दवाओं की उपलब्धता पहले से कहीं बेहतर हो गई है। हमें हर जरूरी चीज समय पर मिल रही है। कोटवा शिवपुर सावित्री ने बताया कि मुझे टीबी की समस्या थी। पहले जांच के लिए जिला अस्पताल या सीएचसी जाना पड़ता था, लेकिन अब स्थानीय स्वास्थ्य केंद्र में ही समय पर टीबी की जांच और सही सलाह मिल जाती हैं। इससे मुझे काफी राहत मिली है। 

                      

ब्यूरो रिपोर्ट 

समी अहमद ' कबीर 

संपादक - K सन्देश 24

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