लखनऊ। हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने भाजपा के पूर्व सांसद बृजभूषण शरण सिंह को बड़ी राहत देते हुए सदोष अवरोध करने संबंधी आपराधिक मुकदमे को समाप्त कर दिया है। न्यायालय ने उक्त मुकदमे को वापस लेने के राज्य सरकार के प्रार्थना पत्र को मंजूर करते हुए पारित किया। इसके पूर्व निचली अदालत ने सरकार के मुकदमा वापसी संबंधी प्रार्थना पत्र को खारिज कर दिया था। कोर्ट ने निचली अदालत के उक्त आदेश को भी निरस्त कर दिया।
यह आदेश न्यायमूर्ति राजेश सिंह चौहान की एकल पीठ ने सांसद बृजभूषण शरण सिंह की याचिका पर पारित किया। याची के विरुद्ध गोंडा जनपद के कोतवाली नगर थाने में वर्ष 2014 में आईपीसी की धारा 188 4 341 के तहत एक एफआईआर दर्ज की गई थी। उन पर आरोप था कि उन्होंने सीआरपीसी की धारा 144 का उल्लंघन करते हुए लोक सेवक के विधिवत रूप से प्रख्यापित आदेश की अवहेलना की व सदोष अवरोध उत्पन्न किया।
मामले में विवेचना के उपरांत पुलिस ने सांसद के खिलाफ निचली अदालत में आरोप पत्र प्रेषित कर दिया था, जिस पर संज्ञान लेते हुए एसीजेएम प्रथम, गोड़ा ने 22 जनवरी 2018 को सांसद को हाजिर होने के लिए समन आदेश जारी किया था। उक्त आरोप पत्र व समन आदेश को पूर्व में भी सांसद की ओर से चुनौती दी गई थी।
इस पर 20 अगस्त 2022 को हाईकोर्ट ने लोक सेवक के आदेश की अवहेलना के आरोप को निरस्त कर दिया व निचली अदालत को आदेश दिया कि यदि याची अपराध की स्वीकरोक्ति करता है तो उसे कारावास की सजा देने के बजाय, सिर्फ जुर्माना लगा के कार्यवाही को समाप्त कर दिया जाए।
याची द्वारा जिला शासकीय अधिवक्ता, गोंडा के उस प्रार्थना पत्र को मंजूर करने का अनुरोध किया गया, जिसमें उक्त मुकदमे को वापस लिए जाने की बात कही गई थी। हालांकि निचली अदालत ने अपने आदेश में कहा कि यानी अपने अपराध की स्वीकारोक्ति हाईकोर्ट में कर चुका है। न्यायालय ने निगली अदालत के उक्त आदेश को खारिन कर दिया व उक्त मुकदमे को वापसी के आधार पर समाप्त कर दिया।
ब्यूरो रिपोर्ट -
समी अहमद ' कबीर
संपादक - K सन्देश 24
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फाइल फोटो : पूर्व सांसद बृजभुसण सिंह कैसरगंज |