उत्तर प्रदेश की शहजादी खान को अबू धाबी में 15 फरवरी 2025 को फांसी दी गई। उन पर एक शिशु की हत्या का आरोप था, लेकिन परिवार का दावा था कि यह जबरन कबूल करवाया गया।
अबू धाबी/बांदा: उत्तर प्रदेश के बांदा जिले की रहने वाली 30 वर्षीय शहजादी खान को अबू धाबी में 15 फरवरी 2025 को फांसी दे दी गई। उन पर एक शिशु की हत्या का आरोप था, जिसे उन्होंने कथित तौर पर स्वीकार भी किया था। हालांकि, उनके परिवार का दावा है कि यह स्वीकारोक्ति जबरन ली गई थी।
प्रेम और धोखे का सफर
शहजादी खान का जीवन संघर्षों से भरा था। उनका बचपन कठिनाइयों में गुजरा।
- बचपन में एक दुर्घटना में उनका चेहरा झुलस गया था, जिसके चलते उन्हें सामाजिक तिरस्कार झेलना पड़ा।
- 2020 में उनकी मुलाकात आगरा के उजैर नामक युवक से हुई, जिसने प्रेम का नाटक किया।
- उजैर ने उन्हें दुबई में प्लास्टिक सर्जरी और नौकरी दिलाने का झांसा देकर दिसंबर 2021 में अबू धाबी बुला लिया।
लेकिन वहां पहुंचने के बाद, शहजादी की जिंदगी पूरी तरह बदल गई। उन्हें घर में नौकरानी बना दिया गया और एक अमीर परिवार में काम पर लगा दिया गया।
उनकी जिम्मेदारी थी घर के छोटे बच्चे की देखभाल करना। लेकिन नियति ने उनके लिए कुछ और ही सोच रखा था।
हत्या का आरोप और कानूनी लड़ाई
दिसंबर 2022 में उस शिशु की संदिग्ध परिस्थितियों में मौत हो गई। इसके बाद शहजादी पर हत्या का आरोप लगा।
शहजादी ने अपने परिवार को बताया कि उनसे जबरदस्ती हत्या की बात कबूल करवाई गई।
- अबू धाबी की अदालत ने जुलाई 2023 में शहजादी को फांसी की सजा सुनाई।
- परिवार ने भारत सरकार से अपील की और दिल्ली हाईकोर्ट में भी याचिका दायर की।
- लेकिन कोई राहत नहीं मिली।
आखिरी कॉल और फांसी
14 फरवरी 2025 की रात शहजादी ने अपने परिवार को फोन किया। उनकी आवाज में घबराहट थी।
"मुझे अलग कमरे में शिफ्ट कर दिया गया है। शायद यह मेरी आखिरी रात है।"
उनकी इस बात से परिवार टूट गया। और फिर, कुछ घंटों बाद, 15 फरवरी को उन्हें अल वथबा जेल में फांसी दे दी गई।
अंतिम संस्कार और परिवार की पीड़ा
- यूएई सरकार ने 28 फरवरी को आधिकारिक रूप से भारतीय दूतावास को सूचित किया कि सजा पर अमल कर दिया गया है।
- परिवार ने शहजादी के शव को भारत लाने की मांग की।
- कानूनी अड़चनों के कारण 5 मार्च 2025 को दुबई में ही अंतिम संस्कार किया जाएगा।
सबक और चेतावनी
शहजादी की कहानी एक दर्दनाक उदाहरण है कि कैसे प्रेम, लालच और धोखे के जाल में फंसकर जीवन बर्बाद हो सकता है।
यह घटना उन लोगों के लिए एक चेतावनी है जो बिना सही जानकारी और कानूनी सुरक्षा के विदेश जाने की सोचते हैं।
- विदेश जाने से पहले पूरी जानकारी प्राप्त करें।
- बिना जांच-पड़ताल किसी पर भरोसा न करें।
- कानूनी सुरक्षा के बिना कोई बड़ा कदम न उठाएं।
शहजादी की दर्दनाक कहानी एक सीख है कि जिंदगी में हर कदम बहुत सोच-समझकर उठाना चाहिए।