अलीगढ़ में मुस्लिम युवकों की पिटाई भारतीय संविधान और अल्पसंख्यक समुदाय के मौलिक अधिकारों पर सीधा प्रहार है– IDRF
नई दिल्ली: उत्तर प्रदेश के अलीगढ़ में कथित गोकशी के आरोप में चार मुस्लिम युवकों के साथ हुई मारपीट की दर्दनाक घटना ने देश भर के मुस्लिम समुदाय में गहरा आक्रोश पैदा कर दिया है। इस अमानवीय घटना में युवकों को कपड़े उतारकर सरेआम पीटा गया और उनकी गाड़ी को आग के हवाले कर दिया गया। यह घटना देश की कानून व्यवस्था और सामाजिक सौहार्द पर एक बार फिर गंभीर सवाल खड़े करती है।
IDRF के डायरेक्टर एवं पूर्व छात्रसंघ अध्यक्ष एएमयू डॉ. फैज़ुल हसन ने अलीगढ़ की वीभत्स घटना की कड़े शब्दों में निंदा करते हुए इसे भारतीय संविधान, लोकतंत्र और अल्पसंख्यक समुदाय के मौलिक अधिकारों पर सीधा प्रहार करार दिया। उन्होंने कहा कि यह हृदयविदारक घटना उस समय सामने आई है जब देशभर में मुस्लिम समुदाय ईद-उल-अज़हा (बकरीद) की तैयारियों में व्यस्त है, जिससे समाज में भय और असुरक्षा की भावना और गहरी होती जा रही है।
उन्होंने आगे कहा कि त्योहार से ठीक पहले इस प्रकार की हिंसात्मक घटना मुस्लिम समुदाय को अपमानित करने और उसकी धार्मिक स्वतंत्रता को बाधित करने की एक सुनियोजित कोशिश प्रतीत होती है।
डॉ. फैज़ुल हसन ने कहा कि भारतीय संविधान प्रत्येक नागरिक को जीवन, स्वतंत्रता और धार्मिक आस्था की पूरी स्वतंत्रता का अधिकार देता है। लेकिन दुर्भाग्यवश, कुछ कट्टरपंथी तत्व संविधान की मर्यादाओं को नज़रअंदाज़ कर खुद को पुलिस और न्यायाधीश, पुलिस की भूमिका में रखने लगे हैं।
IDRF की मुख्य मांगें इस प्रकार हैं:
1. मुक़दमा दर्ज होने के बाद से अलीगढ़ पुलिस को चाहिए कि बिना देरी के उन सभी आरोपियों को गिरफ़्तार करके जेल भेजने की प्रक्रिया सम्पन्न करे।
2. पीड़ित परिवारों को पर्याप्त मुआवज़ा, सहायता और प्रभावी सुरक्षा मुहैया कराई जाए।
3. समाज में सांप्रदायिक तनाव फैलाने वाले संगठनों की उच्चस्तरीय जांच कर उनके विरुद्ध कठोर कार्रवाई की जाए।
4. त्योहारों के दौरान मुस्लिम बहुल क्षेत्रों में विशेष सुरक्षा व्यवस्था सुनिश्चित की जाए, ताकि शांति और सौहार्द बना रहे।
ब्यूरो रिपोर्ट
मोहम्मद अरमान रजा कादरी
मंडल ब्यूरो चीफ देवी पाटन गोंडा
